अध्यात्म की ओर तीसरा भ्रमण और लक्ष्मण दास से नीब करौरी बाबा तक का सफर-
नीम करौली बाबा
बाबा लक्ष्मण दास चिमटा कमंडल लिए फर्रुखाबाद स्टेशन पर रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी के एक डिब्बे में बैठ जाते हैं, गाड़ी के कुछ किलोमीटर चलने के बाद डिब्बे में एक टिकट चेक करने के लिए टिकट कलेक्टर आ जाता है और टिकट कलेक्टर साधु के भेष में बाबा लक्ष्मण दास को देखकर चौक जाता है।
टिकट कलेक्टर बाबा लक्ष्मण दास से टिकट मंगता है और लक्ष्मण दास के सही उत्तर न देने पर वह नाराज हो जाता है और अगला स्टेशन आने से पहले ही नीब करौरी गांव के पास रेलगाड़ी को रुकवा देता है और बाबा लक्ष्मण दास को टिकट कलेक्टर रेलगाड़ी से नीचे उतार देता है।
बाबा लक्ष्मण दास अपना चिमटा वही गाड़ देते हैं, इसके बाद टिकट कलेक्टर गाड़ी को चलाने के लिए सिग्नल देता है, लेकिन गाड़ी आगे नहीं बढ़ती है, रेलगाड़ी के इंजीनियर भी इंजन को चेक करते हैं, लेकिन कोई खराबी नहीं मिलती है, इंजीनियरो को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें और अन्य गाड़ियों के आने जाने का समय हो चला था।
रेलगाड़ी में बैठे यात्री बहुत परेशान होने लगे, कुछ यात्रियों ने रेलगाड़ी के अधिकारियों को बोला कि आप उन साधु को वापस गाड़ी में बैठा लो, तभी यह गाड़ी आगे चल पाएगी, पहले तो रेलगाड़ी के सभी अधिकारीओ ने यात्री की बात मानने से मना कर दिया लेकिन एक प्रैक्टिकल के तौर पर उन्होंने साधु महात्मा को मनाने का निर्णय लिया और बाबा लक्ष्मण दास से टिकट कलेक्टर और अन्य रेलवे के अधिकारी माफी मांगते हैं और उनसे पुनः रेल गाड़ी में बैठने की प्रार्थना करते हैं।
बाबा लक्ष्मण दास उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हैं और इसी बीच नीब करौरी गांव के लोग इकट्ठे हो जाते हैं और गांव वाले बाबा लक्ष्मण दास से कहते हैं कि आज इस गांव का भी बाबा उद्धार कर दीजिए यहां दूर-दूर तक कोई स्टेशन नहीं है जिससे गांव वालों को आने जाने में बड़ी समस्या होती है।
बाबा लक्ष्मण दास जी गांव वालों के इशारों को समझ जाते हैं, और वह रेलवे विभाग के अधिकारियों को बोलते हैं कि मेरी दो शर्ते हैं पहेली शर्त यह है कि आप यहां एक स्टेशन बनायेंगे और दूसरी शर्त यह है कि आज के बाद जो भी साधु संत रेलगाड़ी में बैठेंगे उनको कोई भी अपमानित नहीं करेगा, रेल विभाग के अधिकारियों ने बाबा लक्ष्मण दास की दोनों शर्तो को मान लिया और बाबा लक्ष्मण दास जी ने अपना चिमटा वहां से उखाड़ लिया, इसके बाद ही रेलगाड़ी आगे के लिए बड़ी।
नीब करौरी नाम से एक रेलवे स्टेशन बना और यह चमत्कार पूरे भारत में बहुत तेजी से प्रसिद्ध हो गया और इसी घटना से बाबा लक्ष्मण दास अब नीब करौरी बन गए।

नीब करौरी गांव में महाराज जी के द्वारा किए गए चमत्कारों में से कुछ चमत्कारों की श्रृंखला हम यहां लिख रहे हैं-
नीम करौली बाबा
गोपाल नाम का भक्ति महाराज जी को रोज दूध, फल पहुँचाता था, महाराज जी ने गोपाल कहा था कि मेरी बिना आज्ञा के गुफा के अंदर कभी नहीं आना है क्योंकि गुफा के अंदर महाराजा जी पूजा,जप ,तप करते हैं।
लेकिन गोपाल एक दिन जल्दी में दूध, फल और भोज्य पदार्थ लेकर गुफा के अंदर बिना आज्ञा के चला जाता है और गोपाल देखता है कि महाराज जी के ऊपर बड़े-बड़े सर्प खेल रहे हैं , गोपाल यह देखकर बेहोश हो जाता है और वहीं गिर जाता है।
इसी श्रृंखला में दूसरा चमत्कार महाराज जी गांव वालों से मित्रवत संबंध रखते थे और इसी मित्रवत संबंध से महाराज जी आम के बागों में जाकर अलग-अलग तरीके के खेल खेला करते थे।
महाराज जी को गांव वाले कभी पकड़ नहीं पाते थे क्योंकि महाराज जी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर और एक शाखा से दूसरी शाखा पर कब पहुंच जाते थे गांव वाले समझ ही नहीं पाते थे लेकिन महाराज जी गांव वालों को पल भर में पकड़ लेते थे।
इसी श्रृंखला में महाराज जी का अगला चमत्कार यह है कि नीब करौरी गांव के लोग गंगा स्नान हेतु घटियाघाट फर्रुखाबाद महाराज जी से पहले गांव से निकल जाते थे लेकिन गांव वाले देखते की महाराज जी पहले से ही घटियाघाट पर मौजूद है।
इसी श्रृंखला में महाराज जी का अन्य चमत्कार यह है कि नीब करौरी गांव के लोग कभी-कभी वृंदावन जाते थे और महाराज जी से पहले जाते थे लेकिन गांव वाले वृंदावन मेंदेखते हैं कि महाराज जी हमसे पहले ही मौजूद हैं ।
और फिर गांव वाले वृंदावन से महाराज जी से पहले चलते थे लेकिन वापस गांव में आकर देखते हैं कि महाराज जी पहले से ही गुफा में मौजूद है।
इसी प्रकार नीब करौरी गांव में ही महाराज जी ने बहुत चमत्कार किये लेकिन वह गांव वालों के साथ मित्रवत धर्म के साथ रहते थे यह तो सिर्फ नीम करोली बाबा के चमत्कारो की छोटी सी श्रृंखला है।
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Disclaimer:
इस ब्लॉग में दी गई सभी जानकारियां अलग -अलग स्रोतों से ली गई हैं और मैंने गहन अध्ययन करने के बाद ही जानकारिओं को संजोया है फिर भी यदि किसी को लगता है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी गलत या अपूर्ण है या फिर मेरे ज्ञान में कुछ कमी है तो मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूं।
यह मेरे द्वारा दी गई जानकारी सिर्फ संकेत मात्र ही है क्योंकि नीम करोली बाबा जी के जीवन के रहस्यों को समझना असंभव है जिस प्रकार समंदर की गहराइयों को नापना संभव नहीं है, उसी प्रकार श्री नीम करोली बाबा जी का पूरा जीवन चमत्कारिक रहस्यओ से भरा हुआ है।
Author Bio:
लेखक – मुकेश बाबू
मुकेश बाबू, बरेली (उत्तर प्रदेश) निवासी, पिछले 5 वर्षों से धार्मिक, आध्यात्मिक और संत साहित्य पर लेखन कर रहे हैं। उनका उद्देश्य भारतीय संतों की शिक्षाओं, चमत्कारों और प्रेरणादायक जीवन को जन-जन तक पहुँचाना है। वह अपनी वेबसाइट atozfine.com के माध्यम से युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
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