नीब करौरी बाबा-
नीम करोली बाबा (नीब करौरी बाबा) जी का जन्म एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में सन 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था और उनके बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा और उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा और माता का नाम कौशल्या देवी शर्मा था और माता कौशल्या देवी शर्मा की मृत्यु के समय नीम करोली बाबा की आयु सिर्फ 8 वर्ष थी। नीम करोली बाबा बचपन से ही राम नाम का ध्यान और हनुमान जी की पूजा करते थे। वे बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और आगे चल कर उन्होंने सांसारिक बंधनों को त्यागकर संन्यास ले लिया। नीम करोली बाबा भारत के एक महान संत, योगी और हनुमान जी के प्रतिरूप संत थे जिनका जीवन रहस्यमय और चमत्कारिक घटनाओं से भरा हुआ था।

नीम करोली बाबा जी का विवाह
नीम करोली बाबा जी का विवाह बहुत कम उम्र लगभग 11 वर्ष की उम्र में रामबेटी शर्मा जी से हुआ था, और पत्नी रामबेटी शर्मा ग्राम वदामवास जिला फिरोजाबाद की रहने वाली थीं। यह विवाह पारंपरिक ब्राह्मण रीरिवाज से संपन्न हुआ था। और रामबेटी शर्मा जी एक अत्यंत धार्मिक और समर्पित महिला थीं, उन्होंने नीम करोली बाबा जी के सन्यासी स्वभाव को समझते हुए उन्हें मुक्त भाव से संन्यास की ओर बढ़ने दिया। नीम करोली बाबा जी विवाह के बाद कुछ वर्षों तक ही गृहस्थ जीवन में रहे, और उनका मन सांसारिक जीवन में नहीं रमा। और विवाह की यह घटना उनके संत जीवन की एक शुरुआती सामाजिक रस्म भर बनकर रह गई। और नीम करोली बाबा जी ने एक दिन घर छोड़ दिया और पूर्ण रूप से संन्यास ले लिया। नीम करोली बाबा एक दिव्य आत्मा थे, जिन्होंने अपने जीवन से लोगों को प्रेम, भक्ति और सेवा का महत्व समझाया।
अध्यात्म की ओर पहला भ्रमण और लक्ष्मी नारायण शर्मा से लक्ष्मण दास तक का सफर
नीम करौली बाबा जी ने अध्यात्म की ओर पहला भ्रमण सुरु किया और पहला भ्रमण गुजरात के राजकोट में एक आश्रम में जा पूरा किया और नीम करोली बाबा जी ने यहाँ कठिन साधना सुरु कर दी। नीम करोली बाबा जी की कठोर साधना और समर्पण, भक्ति और सेवा से प्रभावित होकर आश्रम के महंत जी ने आश्रम का उत्तराधिकारी बना दिया और नीम करोली बाबा जी का नया नाम लक्ष्मण दास रखा गया लेकिन आश्रम के अन्य शिष्यों की असहमति थी और इसी कारण बाबा जी ने आश्रम को ही छोड़ दिया।
अध्यात्म की ओर दूसरा भ्रमण और लक्ष्मण दास से तलैया बाबा तक का सफर
नीम करोली बाबा जी ने आश्रम छोड़ कर गुजरात के वावनिया (Vavaniya) गाँव में साधना की। वावनिया गाँव मोरबी (Morbi) ज़िले के पास स्थित है। नीम करोली बाबा जी ने वावनिया गाँव के ही एक तालाब में तपस्या करने लगे और ग्राम के लोग इसी कारण से उन्हें “तलैया बाबा” के नाम से पुकारने लगे।
बाबा जी ने वावनिया गाँव में एक हनुमान मंदिर की स्थापना की थी, जो आज भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। इस प्रकार नीम करोली बाबा जी का दूसरा भ्रमण पूरा हुआ।

Neem Karoli Baba Kainchi Dham Mandir Nainital Uttrakhand
दिल्ली से कैंची धाम नैनीताल जाने के लिए जानकारी निम्न प्रकार है
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इसी प्रकार दिल्ली आनंद विहार बस स्टेशन से रोडवेज के माध्यम से कैंची धाम नैनीताल जाने के लिए जानकारी निम्न प्रकार है-
दिल्ली आनंद विहार बस स्टेशन से …… नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम मंदिर नैनीताल जाने के लिए आप सीधे हल्द्वानी के लिए आये, और हल्द्वानी से नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम मंदिर लगभग 44 KM की दूरी पर है, अब आप हल्द्वानी बस स्टेशन से ……. टैक्सी के माध्यम से सीधे नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम मंदिर नैनीताल पहुंच जायेंगे और टैक्सी का किराया प्रति सबारी 200 Rs से 250 Rs नीम करोली बाबा आश्रम कैंची धाम मंदिर नैनीताल तक हैं।
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Disclaimer:
इस ब्लॉग में दी गई सभी जानकारियां अलग -अलग स्रोतों से ली गई हैं और मैंने गहन अध्ययन करने के बाद ही जानकारिओं को संजोया है I फिर भी यदि किसी को लगता है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी गलत या अपूर्ण है या फिर मेरे ज्ञान में कुछ कमी है, तो मैं आप सभी से क्षमा चाहता हूं I
यह मेरे द्वारा दी गई जानकारी सिर्फ संकेत मात्र ही है क्योंकि नीम करोली बाबा जी के जीवन के रहस्यों को समझना असंभव है I जिस प्रकार समंदर की गहराइयों को नापना संभव नहीं है, उसी प्रकार श्री नीम करोली बाबा जी का पूरा जीवन चमत्कारिक रहस्यओ से भरा हुआ है क्योंकि वह एक दिव्य आत्मा थे स्वयं श्री संकट मोचन हनुमान जी का प्रतिरूप थे और इसीलिए भगवान के जीवन को समझना आसान नहीं है I
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